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महामंडलेश्वर अरुणा जी महाराज

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महा कुंभ मेला 2025

महा महामंडलेश्वर श्री अरुणा जी महाराज

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महा महामंडलेश्वर श्री अरुणा जी महाराज कानपुर

महा कुंभ मेला

महामंडलेश्वर अरुण जी एवं डॉक्टर विजया जी महाराज

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हमारे बारे में

श्री गुरु गोरखनाथ जी महाराज के आशीर्वाद से और उनके दिशा निर्देश के मार्गदर्शन के अनुरूप गुरु श्री  गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद की स्थापना श्री संजीवन्नाथ महाराज जी अध्यक्ष द्वारा की गई थी जो 2021 से धीरे-धीरे बढ़ रहा है 2024 में एक नए अध्याय की शुरुआत करते हुए पूर्ण रूप से एवं सुचारु रूप से प्रचलित और प्रसारित किया गया इसका मुख्य उद्देश्य नाथ संप्रदाय को उसकी हक दिलाना मान सम्मान दिलाना और नाथ संप्रदाय को एक संपूर्ण अखाड़े के रूप में स्थापित करना है जिसमें भरत नाथ महाराज जी जिनका विशेष रूप से हर कार्य में योगदान  है  शंकर नाथ महाराज जी जयपुर से श्री श्रवण नाथ महाराज जी जयपुर से एवं भारत नाथ जी महाराज जी के सहयोग के बिना  यह कार्य संभव होना शायद मुश्किल होता इसी कड़ी में अखाड़े में महामंडलेश्वर का चुनाव भी शुरू हो गया और एक ही दिन में चार महामंडलेश्वर नियुक्त किए गए जिसमें कानपुर से श्री अरुणा नाथ जी महाराज डॉ विजया नाथ जी महाराज स्वामी जगदीश प्रजापति जी महाराज को महामंडलेश्वर के पद पर 17 नवंबर 2024 को सम्मानित किया गया जिसमें यह शपथ दिलाई गई कि वह नाथ संप्रदाय के लिए एक नए स्वर्णिम अध्याय की शुरुआत करेंगे और नाथ महाराज को मान सम्मान और उनके हक की लड़ाई जरूर मिलकर लड़ेंगे। 
नाथ संप्रदाय वैसे ही बहुत पीछे चल रहा है और समाज में जो हीन भावना नाथ को देखकर उत्पन्न होती है उसको दूर करने का प्रयास अलग अखाड़े द्वारा किया जा रहा है और जिसमें काफी सफलता भी अर्जित की है उज्जैन कुंभ से पहले नाथ अखाड़े को एक संपूर्ण अखाड़े का दर्जा दिलाने के लिए कार्य शुरू हो चुका है जो बहुत ही जल्द संपूर्ण भी होगा जब सभी 13 अखाड़े को नाथ संप्रदाय के साथ नहीं जोड़ा जाता और कुंभ में सभी को स्थान मिलता है तो नाथ संप्रदाय को क्यों नहीं यह लड़ाई समाज से नहीं हमारे अपने आप से कि हम इस दोषपूर्ण भावना को दूर करें और केवल अपने तक सीमित न होकर देश-विदेश में भी एक सम्मान की स्थिति उत्पन्न करें और नाथ जी को सम्मान देने मैं सहायक भूमिका निभाई जिससे आने वाली पीढ़ियां इस कार्य को एक सम्मान की दृष्टि से देखें और योगो से चली आई परंपरा एक नई परंपरा की ओर अग्रसर हो आदेश आदेश जय श्री नाथ

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अध्यक्ष का संदेश

छोटा या बड़ा कुछ नहीं होता वहां ज्यादा संत महापुरुष थे जिनमें से कुछ प्रमुख लोगों के विचार दर्शाने आवश्यक होते हैं किंतु 100 शब्द लिखने से और उसका उत्तर एक शब्द में देने से सर्वोत्तम होता है जिस प्रकार रात के अंधकार को सूर्य के आने की एक किरण दूर कर देती है इस प्रकार 100 शब्दों का तोड़ सिर्फ एक शब्द में हो सकता है बाकी तो आप संत हैं सब कुछ जानते हैं कि संसार की उत्पत्ति भगवान शिव से हुई है और भगवान शिव सुनय हैं और इसका अर्थ सव है और जो सव है वह बहुत कुछ है और कुछ भी नहीं आदि और अनादि मैं सिर्फ एक अक्षर का अंतर है लेकिन फर्क जमीन और आसमान का है मैंने जीवन में अपनी तुलना किसी से करने का प्रयास नहीं किया क्योंकि हो सकता है मेरी सबसे धीमी गति हो या हम सबसे अलग हॅ

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