गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद मण्डल का गठन
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद के प्रबन्धन हेतु एक न्यासी मण्डल का गठन किया जायेगा। इस न्यास के अध्यक्ष/संस्थापक/श्री महन्त
पर ही आजीवन अपने पद पर बना रहेंगा। परन्तु अन्य पद चुनाव के दौरान तय किये जायेगे। इस प्रकार न्यास मण्डल की कुल सदस्य संख्या वर्तमान में (अध्यक्ष सहित) 3 होगी। न्यास के न्यासियों की संख्या अध्यक्ष के अतिरिक्त कम से कम 3 एवं अधिकतम की कोई सीमा नहंी होगी
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद मण्डल का कर्तव्य एवं अधिकार क्षेत्र
अध्यक्ष -
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद के संस्थापक एवं अध्यक्ष श्री महन्त संजीवन नाथ आजीवन गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बने रहेगें तथा उनके बाद उनके द्वारा मनोनित या नामित व्यक्ति ही परिषद अगला अध्यक्ष होगा, अगर संस्थापक/अध्यक्ष अपने जीवनकाल में अगला अध्यक्ष नामित नही कर पायेगें तब 2/3 के बहुमत से सदस्यों द्वारा नये अध्यक्ष को चुना जायेगा। और न्यास की होने वाली सभी बैठकों की अध्यक्षता अध्यक्ष स्वंय करेंगे।
संजीवन नाथ महाराज जी राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद के सदस्यों, सचिव तथा कोषाध्यक्ष को मनोनीत करेंगे। किसी पद के रिक्त होने पर, उसके कार्य का संचालन तब तक स्वयं अध्यक्ष करते रहेंगे जब तक की पदाधिकारी की नियुक्ति नहीं हो जाती।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद द्वारा संचालित संस्थाओं/शाखाओं में भी अध्यक्ष ही व्यवस्थापक को मनोनीत करने एवं प्रबन्ध तथा संचालन के लिए सक्षम होगा।
किसी व्यवस्था पर समुचित फैंसला न होने पर अध्यक्ष अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर उचित फैंसला कर सकते हैं। किसी विषय पर समान मत आने पर अध्यक्ष का निर्णायक मत होगा। अध्यक्ष का निर्णय सब विषयों पर मान्य होगा एवं किसी भी विषय पर न्यास के हितार्थ अध्यक्ष द्वारा असहमति व्यक्त करने पर वह प्रस्ताव पारित नहीं होगा।
संस्था के हित में प्रयत्न करना एवं सम्पत्ति का बराबर निरीक्षण करना।
किसी भी समय अवधि पूर्ण होने से पहले अगर गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद मण्डल सुचारू रूप से कार्य करने में असमर्थ हो तो गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद का पुर्नगठन करना।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद की बैठक बुलाने या परिवर्तन करने से सम्बन्धित स्वीकृति देना।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद की तरफ से समस्त प्रकार की कानूनी कार्यवाही करना।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषदबैंक, पोस्ट आफिस आदि में धन जमा व निकालना का सम्पूर्ण अधिकार अध्यक्ष के पास रहेगा।
(पप) उपाध्यक्ष
अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष के समस्त कार्यो का निर्वाहन करना एवं अध्यक्ष की
सहायता करना।
महासचिव
बैठकों की सम्पूर्ण कार्यवाही को लिखना, बैठकें आयोजित करने हेतु व्यवस्था करना,
पत्र-व्यवहार करना,
संस्था को प्राप्त हुए धन की रसीदें देना, आय-व्यय का हिसाब रखना व वार्षिक बैठक में आय-व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत करना। न्यास संचालन में अध्यक्ष को सहयोग करना।
सचिव
महासचिव की अनुपस्थिति में महासचिव के समस्त कार्यो का निर्वाहन करना एवं महासचिव
के समस्त कार्यो में उनकी सहायता करना।
(अ) कोषाध्यक्ष
न्यास संचालन हेतु कोष का प्रबन्ध करना। कोष, आय-व्यय का ब्यौरा एवं स्रोतों को बैठक में प्रस्तुत करना। न्यास के लिए दान-चन्दा प्राप्त करना व रसीद देना। अध्यक्ष महोदय को सहयोग करना।
(अप) न्यासी
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद के न्यासी जाति भेद रहित होंगे। वह ही न्यासी मनोनीत होगा जो न्यास के उद्देश्यों का पालन करेगा।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद के गठन के अन्तर्गत यह निर्धारित कर दिया गया है कि वर्तमान में अध्यक्ष । संजीवन्नाथ महाराज जी
3. प्रत्येक न्यासी (अध्यक्ष को छोड़कर) का कार्यकाल एक वर्ष का होगा। यदि किसी न्यासी का श्री गुरूगोरख नाथ अलख अखाडा के विरूद्ध गतिविधियां पायी जाती है तो उसका कार्यकाल स्वतः निरस्त समझा जायेगा पद का निष्कासन का सम्पूर्ण अधिकार अध्यक्ष का होगा। यदि कार्यकाल समाप्त होने पर अध्यक्ष द्वारा उसी व्यक्ति को अथवा किसी अन्य न्यासी की रिक्त न्यासी के पद पर नियुक्ति की जा सकती है।
4. प्रत्येक न्यासी अपने कार्य के लिए अध्यक्ष के प्रति उत्तरदायी होंगे।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद न्यासियों की कार्यमुक्ति
निम्नलिखित स्थिति में से किसी एक या अधिक कारणों से न्यासी का स्थान रिक्त समझा जायेगा -
(प) अपनी इच्छा से त्याग-पत्र देने पर, मृत्यु होने पर, पागल होने पर, नियमों का पालन न करने पर न्यास से दुव्र्यवहार करने पर, अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषदकी प्रतिष्ठा को ठेस पहंुचाना, न्यास सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाना या दुरूपयोग या गबन करने पर।
) न्यायालय द्वारा दण्डित, दीवालिया घोषित या अपराध प्रवृत्ति अथवा कानून की दृष्टि में इकरार करने के अयोग्य हो जाने पर।
(पअ) बिना कारण बताये लगातार 3 मीटिंग में अनुपस्थित रहने पर।
(अ) कार्यकाल पूरा होने पर।
(अप) न्यास की मूल भावना के अनुरूप कार्य नहीं करने पर, अध्यक्ष पदाधिकारी अथवा न्यासी को उसके दायित्व से मुक्त कर सकता है। किसी भी न्यासी के उपरोक्त कारणों से हटने पर उसके रिक्त स्थान की पूर्ति न्यासी मंडल तीन माह के अन्दर 2/3 बहुमत से कर सकेगा। किन्तु इसके लिए अध्यक्ष की स्वीकृति अनिवार्य होगी। परन्तु संस्थापक अध्यक्ष की सदस्यता किसी भी रूप में समाप्त नहीं की जा सकेगी।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद की बैठक
वर्ष में एक बैठक आवश्यक है जिसे वार्षिक बैठक कहा जायेगा। आवश्यकता पड़ने पर वर्ष में एक से अधिक बैठकें आयोजित की जा सकती है। वार्षिक बैठक के अलावा सभी बैठकों को असाधारण बैठक के नाम से जाना जायेगा।
सूचना अवधि
वार्षिक बैठक की सूचना कम से कम 21 दिन पूर्व एवं असाधारण बैठक की सूचना कम से कम 7 दिन पूर्व सभी न्यासियों को दी जानी अनिवार्य है। लेकिन विशेष परिस्थिति में बैठक को अल्पावधि सूचना द्वारा भी बुलाया जा सकता है। बैठक की सूचना में बैठक के विषय (एजेन्डा) देना आवश्यक होगा।
कुल न्यासियों की संख्या का 2/3 या दो न्यासी, जो भी अधिक हो की उपस्थिति कोरम/गणपूर्ति मानी जायेगी। कोरम/गणपूर्ति के अभाव में दूसरी बैठक बुलाई जायेगी तथा इस (दूसरी) बैठक के लिए कोरम/गणपूर्ति आवश्यक नहीं होगी।
बैठक में कोई भी प्रस्ताव अध्यक्ष की सहमति के बिना स्वीकृत नहीं हो सकता है।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद के कत्र्तव्य
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद सम्पत्ति की देख-रेख करना।
जनसाधारण व सेवकों से न्यास हेतु दान, भेंट, सहायता प्राप्त करना।
जरूरत पड़ने पर, अध्यक्ष महोदय की सहमति व अनुमोदन से नियमों व उपनियमों में परिवर्तन करना।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु चल-अचल सम्पत्ति प्राप्त कर उसका प्रबन्ध करना।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद का वार्षिक बजट बनाकर, वार्षिक सभा में प्रस्तुत करना।
वार्षिक मेलों, अर्द्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ आदि पर्वों पर विशेष तत्परता दिखाना, न्यास के कार्यों की रूप रेखा बनाकर उन्हें पूर्ण करना और करवाना।
उद्देश्यों की पूर्ति हेतु राज्य सरकार, केन्द्रीय सरकार, समाज कल्याण विभाग, केन्द्रीय समाज कल्याण सलाहकार बोर्ड, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, केन्द्रीय एवं राजकीय महिला कल्याण निगम, वित्तीय संस्थाओं, संस्थानों, बैंकों, दानदाताओं, व्यापारिक प्रतिष्ठानों एवं नागरिकों से आर्थिक सहायता, ऋण, दान, अनुदान, चल व अचल सम्पत्ति ट्रस्ट के हित में प्राप्त करना।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद का संचालन
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद का संचालन अध्यक्ष महोदय करेंगे। समस्त न्यासीगण, न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए तथा न्यास के समस्त प्रबन्ध कार्यों को चलाने के लिए अध्यक्ष महोदय के प्रति उत्तरदायी एवं सहयोगी होंगे।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद स का कोष
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद के कोष के लिए राष्ट्रीयकृत बैंक/डाकघर में खाता खोला जायेगा, जो सुविधानुसार एक से अधिक बैंक और डाकघर में भी हो सकता है।
खाते व सम्पत्ति का संचालन अध्यक्ष के हस्ताक्षर से होगा।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषदकी स्थायी निधि और इससे प्राप्त ब्याज को राष्ट्रीयकृत बैंक अथवा डाकघर के अतिरिक्त किसी भी व्यवसायिक निजी बैंक, साहूकार, हुण्डी, शेयर बाजार, आदि।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषदके नियमों व उपनियमों का संशोधन
न्यासी मण्डल सभा के 2/3 सदस्यों के बहुमत से न्यास के नियमों व उपनियमों में अध्यक्ष महोदय की सहमति/अनुमोदन से संशोधन हो सकेगा।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद प्रत्येक वित्त वर्ष के लिए न्यास के आय-व्यय का हिसाब नियमानुसार रखा जायेगा।
कानूनी कार्यवाही
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद से सभी कानूनी कार्य को करने का अधिकार अध्यक्ष को होगा। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में महासचिव या किसी भी न्यासी को इस कार्य के लिए नियुक्त कर सकते हैं। न्यास का कानूनी क्षेत्र हरिद्वार, न्यायालय होगा।
16. संरक्षक मण्डल
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद को सुझाव देने के लिए एक संरक्षक मण्डल का गठन किया जायेगा। इस संरक्षक मण्डल में समाज के प्रतिष्ठित एवं बुद्धिजीवी महानुभावों को सम्मिलित किया जायेगा। जिनसे समय≤ पर बहुमूल्य मार्गदर्शन मिल सके और न्यास के दिशा-निर्देशक के रूप में जन कल्याणार्थ कार्यक्रमों के क्रियान्वयन हेतु सहायता मिल सके। परन्तु संरक्षक मंडल को न्यास के कार्यों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं होगा।
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद का विघटन
गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़ा परिषद कभी भी विघटित नहीं होगा। न्यास की सम्पत्ति का प्रयोग/दुरूपयोग कोई भी न्यासी निजी तौर पर या अपने सगे-सम्बन्धियों, मित्र या स्वार्थ के लिए नहीं कर सकेगा। न्यास की किसी भी न्यासी या सदस्य के व्यक्तिगत कर्ज एवं अन्य प्रकार के ऋणों की अदायगी की जिम्मेदारी नहीं होगी।
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